हमें कौन से भगवान की भक्ति करनी चाहिए

kon se bhagwan ki puja kare: हम इंसान हैं क्योंकि हमारे पास सोचने समझने के लिए बुद्धि है। बुद्धि से हम वेद-शास्त्रों का अध्ययन करने के साथ-साथ सत्य और असत्य की परख भी कर सकते हैं। हम सभी जानते हैं कि मनुष्य अपनी बुद्धि को कैसे सुधार सकता है। मनुष्य का जीवन माँ के गर्भ से जन्म के साथ शुरू होता है। 

Insan Ko Kisne Banaya Hai

हम एक जीवात्मा हैं। भगवान ने हमें यह शरीर सतभक्ति प्राप्त करने के लिए दिया है लेकिन हम तीन गुणों के अभाव में जन्म से पहले क्या और कैसे थे सब कुछ भूल जाते हैं। ऐसे में बहुत से लोग पूछते हैं कि भगवान ने मनुष्य को कैसे बनाया तथा भगवान ने हमें धरती पर क्यों भेजा है? तो आइए आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे कि भगवान ने मनुष्य को कैसे बनाया तथा कौन से भगवान की भक्ति करनी चाहिए?

भगवान ने मनुष्य को कैसे बनाया: kon se bhagwan ki puja kare

कुछ लोग इंसान को कौन बनाया गूगल पर सर्च करते हैं दोस्तों हम सभी जीव आत्माएं हैं और इस संसार के रचयिता पूर्ण परमेश्वर ने हम इंसानों को माता-पिता के द्वारा जन्म दिया है। ईश्वर अन्यायी और पक्षपात से परे हैं। अतः मनुष्य जन्म का कारण जीवात्मा के कुछ विशेष गुण आदि हो सकते हैं। वेद-शास्त्र बताते हैं कि मनुष्य जन्म पिछले कर्मों के अनुसार प्राप्त होता है। पूर्ण परमात्मा ने हमे इस पृथ्वी पर मनुष्य रूप में जन्म इसलिए दिया ताकि हम पूर्ण संत बनाकर मोक्ष प्राप्त कर सकें।


यदि हमारे अच्छे कर्म पिछले जन्म में हमारे बुरे कर्मों से अधिक हो जाते हैं, तो हम एक इंसान के रूप में पैदा होते हैं। यह उचित लगता है जैसे आज भी हम देखते हैं कि स्कूलों में छात्रों के आगे बढ़ने और अगली कक्षा में पास होने के कुछ निश्चित अंक होते हैं। कहीं यह 33 फीसदी है तो कभी इससे ज्यादा भी होते हैं।

प्रथम श्रेणी के लिए लगभग 60% अंक मान्य होते हैं। उसी प्रकार शुभ-अशुभ कर्म मानव जन्म का आधार बनते हैं। हमारा मानव जन्म दर्शाता है कि हमने पिछले जन्म में 50 प्रतिशत से अधिक अच्छे कर्म किए हैं। जो जीवात्माएं पशु-पक्षियों आदि 84 लाख योनियों में कष्ट पर कष्ट झेल रही हैं उसका कारण यह है कि उनके पिछले शुभ कर्म पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं।

क्योंकि पूर्ण परमात्मा सर्वव्यापी होने के साथ-साथ अंतर्यामी भी है और सभी प्राणियों के प्रत्येक क्षण के साक्षी हैं, इसलिए उन्हें आत्माओं की हर क्रिया का ज्ञान होता है। इसलिए हमारे कर्म इस और भविष्य के जन्मों में हमारे जीवन का आधार होते हैं। 

अतः इस जन्म और अगले जन्मों में सुख प्राप्त करने के लिए हमें अच्छे कर्मों पर विशेष ध्यान देना चाहिए और किसी भी स्थिति में असत्य आचरण और बुरे कर्म नहीं करने चाहिए और पूर्ण संत से दीक्षा लेकर अपने मानव जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।

हम इंसान हैं इसलिए हमें अपने उद्देश्य और लक्ष्य का भी ज्ञान होना चाहिए। पूर्ण गुरु द्वारा बताए गए सतभक्ति के मार्ग को अपनाने और शास्त्रों का अध्ययन और विचार करने के बाद, यह ज्ञात होता है कि मानव जन्म का मुख्य उद्देश्य दुखों से छुटकारा पाना और जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त होना है। काम करने वाला हर व्यक्ति कभी न कभी थक जाता है और ब्रेक लेना चाहता है।

मोक्ष के लिए भी कुछ ऐसी ही व्यवस्थाएं हैं। जो लोग पूर्ण संत की शरण में आकर वेद-शास्त्रों के अनुसार भक्ति करके जीवन व्यतीत करते हैं, वह एक दो जन्मों के उपरांत ही ईश्वर को प्राप्त करने के साथ-साथ मोक्ष की भी प्राप्ति कर सकते हैं। यह ईश्वरीय विधान है।

हम केवल अनुमान लगा सकते हैं। हमारे संतों ने इन तथ्यों साक्षात्कार किया है। उन्होंने जो बताया है वह हमारे लिए प्रामाणिक है। उसी प्रकार हम भगवान के मौक्ष मार्ग को जानने में सक्षम हैं। संत रामपाल जी महाराज एप पर इसका विस्तार से वर्णन किया है। आप चाहें तो गूगल Playstore से इस एप को डाउनलोड कर सकते हैं तथा अपनी शंका का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।

सभी पाठक पुस्तक ज्ञान गंगा को अवश्य पढ़ें। इससे उनका आध्यात्मिक और सांसारिक विषयों का ज्ञान और भी बढ़ सकता है। हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य पुरुषार्थ और सतभक्ति है और ऐसा करके ईश्वर का साक्षात्कार और परोपकार करना ही जीवन का उद्देश्य है।

हमें पूर्ण गुरु के बताए अनुसार अधिक से अधिक स्वाध्याय और सच्ची साधना करनी चाहिए, जिससे हम मोक्ष की विपरीत दिशा में न चलकर मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ सकें और अपने लक्ष्य को अच्छी तरह प्राप्त कर सकें।

भगवान ने हमें धरती पर क्यों भेजा है

कभी-कभी आपके मन में यह जरूर आता होगा कि भगवान ने हमें धरती पर क्यों भेजा है। क्या सच में ऐसा होता है कि हम किसी खास मकसद के लिए पैदा हुए हैं? शायद कहीं न कहीं यह बिल्कुल सच है कि भगवान ने हमें धरती पर एक खास मकसद से भेजा है।

भगवान ने हमें धरती पर इसलिए भेजा है ताकि हम पूर्ण संत की पहचान करने के उपरांत कुछ अच्छे कार्य तथा सतभक्ति मार्ग पर चलकर मौक्ष प्राप्त कर सकें. हमें चाहिए कि हम ईश्वर की कामनाओं को पूर्ण करें और इस संसार में रहकर विधिवत प्रकार से अच्छे कर्मों को करें जिससे ईश्वर हम से संतुष्ट और प्रसन्न हो. सतगुरु कबीर कहते जो मनुष्य जन्म पाकर सतभक्ति नहीं करता है उसका लोक और परलोक दोनों बेकार हो जातें हैं।

कबीर- तीन लोक पिंजरा भया, पाप पुण्य दो जाल।
सभी जीवात्मा भोजन भये, एक खाने वाला काल।।

कबीर- एक पापी एक पुन्यी आया, एक है सूम दलेल रे।
बिना सतगुरु कोई काम नहीं आवै, सब है जम की जेल रे।।

क्या इस धरती पर भगवान है

जब भी धर्म की हानि होती है और भगत सामाज वेद-शास्त्रों के विरुद्ध भक्ति करने लगते हैं तो भगवान स्वयं पृथ्वी पर प्रकट होते हैं और दोहों और वाणी के माध्यम से लोगों को सतभक्ति प्रदान करते हैं। वे सह-शरीर धरती पर आते हैं और सह-शरीर अपने धाम को लौट जाते हैं। पृथ्वी पर लीला करने के लिए भगवान दो तरह से प्रकट होते हैं।

हर युग में, भगवान एक शिशु के रूप में वन में स्थित एक झील में कमल के फूल पर प्रकट होते हैं। वहां से एक निःसंतान दंपत्ति उन्हें वात्सल्य के रूप में अपने साथ ले जाते हैं। वे बचपन से ही ज्ञान के रचयिता की विशेष लीला करते हुए बड़े होते हैं और समाज में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार कर अधर्म का नाश करते हैं।

झील के पानी में कमल के फूल पर अवतार लेने के कारण पूर्ण परमेश्वर को नारायण कहा जाता है। नार का अर्थ है जल और आयण का अर्थ है आने वाला अर्थात् जल पर रहने वाला नारायण कहलाता है।

काशी नगर में एक बुनकर दंपत्ति के घर में पले-बढ़े कबीर जी ने भी बुनकर का काम करना शुरू किया और अच्छी आत्माओं से मुलाकात की, उन्हें तत्त्वज्ञान समझाया और स्वयं भी तत्वज्ञान का उपदेश देकर अधर्म का नाश किया। पूर्ण भगवान अपने बारे में स्वयं बताते हैं।

अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।
ना मेरा कोई जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।

कबीर- माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहे का पुत्र आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।

हाड चाम लोहू न मेरे, जाने कोई सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।

जब भी पूर्ण परमात्मा अपने परमधाम सत्यलोक से चलकर ऋषि, संत या जीवित महात्मा के रूप में धरती पर अवतार लेते हैं। धरती पर आकर वे पुण्य आत्माओं को सच्चा ज्ञान देते हैं। ऐसी पुण्य आत्माएं जिन्होंने ईश्वर से वास्तविक ज्ञान लिया है, वे भी ज्ञान फैलाकर अधर्म का नाश करती हैं। ऐसी पवित्र आत्माएं विशेष कार्यों को पूरा करने के लिए भगवान द्वारा नियुक्त किए जाने पर धरती पर अवतरित होती हैं।

अपने निज धाम से आकर परमेश्वर कविर्देव जीवित महात्मा के रूप में कुछ पुण्य आत्माओं को मिले, उन्हें अपने निज धाम ले गए और उन्हें आध्यात्मिक तत्वज्ञान दिया और उन्हें अपने वास्तविक स्वरूप से अवगत कराकर वापस पृथ्वी पर छोड़ दिया। ये सभी महापुरुष पूर्ण परमात्मा सत्य पुरुष (कवीर्देव) के अवतार थे।

उन्होंने परमात्मा कबीर साहेब से प्राप्त ज्ञान के आधार पर अधर्म और पाखंड का नाश किया। इन सच्चे पुरुषों के अवतारों में आदरणीय धर्मदास जी, सिख धर्म के प्रवर्तक माने जाने वाले आदरणीय नानक देव साहब जी और आदरणीय दादू साहब जी, आदरणीय गरीबदास जी और वर्तमान में धरती पर तत्वदर्शी संत रामपाल जी भगवान के संदेश वाहक (अवतार) हैं।

कौन से भगवान की भक्ति करनी चाहिए

आजकल बहुत से लोग भगवान की भक्ति करते हैं तथा साथ ही अन्य देवी-देवताओं की पूजा भी करते हैं। पहले सच्ची भक्ति क्या है यह जानना बहुत जरूरी है। जो भगत या श्रधालु भगवान सम्बंधित फल चाहते हैं उन्हें ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए इससे पूर्ण परमात्मा रुष्ठ हो जातें जिस कारण साधक को पूर्ण परमेश्वर से जो लाभ मिलना था वह नहीं मिल पाता है।

भक्ति केवल सबसे शक्तिशाली भगवान की करनी चाहिए जो वेद-शास्त्रों से प्रमाणित हो किसी के बहकावे में आकर पाखंड पूजा नहीं करनी चाहिए। हमेशा पूर्ण संत की पहचान करने के उपरांत ही भगवान की सतभक्ति करनी चाहिए। गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में लिखा है कि जो तत्वज्ञान परमात्मा स्वयं धरती पर प्रकट होकर बताते हैं।  

उस तत्वज्ञान को तू तत्वदर्शी ज्ञानियों (सन्तों) के पास जाकर समझ। उनको दण्डवत् प्रणाम करके तथा नम्रतापूर्वक प्रश्न करने से वे तत्वदर्शी सन्त उस तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे।

पूर्ण परमेश्वर ने यह तत्वज्ञान स्वयं पृथ्वी पर प्रकट होकर बताया है। गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में तत्वदर्शी सन्त की पहचान बताई है कि जो सन्त संसार रूपी पीपल के वृक्ष को जड़ से लेकर सर्व अंगों को जानता है, वह तत्वदर्शी सन्त होता है। ऐसे में सभी भगवान प्रेमी पुण्य आत्माओं को पूर्ण संत की पहचान करने के बाद ही भगवान की पूजा करनी चाहिए।

दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल Insan Ko Kisne Banaya Hai तथा कौन से भगवान की भक्ति करनी चाहिए कैसा लगा कमेंट में अवश्य बताएं तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि आपको भी भगवान ने मनुष्य को कैसे बनाया आदि के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।

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