सबसे बड़ा परमात्मा कौन है तथा कहां रहता है: Who Is The Greatest God

Who Is The Greatest God: दोस्तों आपको बता दें कि वेद शास्त्रों में परमात्मा को अजंमा और अजर-अमर कहा गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अजन्मा और सबसे बड़ा परमात्मा कौन है? वेद शास्त्रों के एक लंबे शोध के बाद, यह पता चला गया है कि ब्रह्मा, विष्णु और शंकर तीनों भगवान नाशवान हैं। 

सबसे बड़ा परमात्मा कौन है

श्री देवी भागवत पुराण में लिखा है कि इन तीनों भगवानों की जन्म और मृत्यु होती है। तो फिर अजन्मा और सबसे बड़ा भगवान कौन है? लोगों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है। ऐसे में आज हम लेकर आए हैं कि सबसे बड़ा परमात्मा कौन है और वह कहां रहते हैं.

इस धरती पर जन्म लेने के बाद व्यक्ति किसी न किसी धर्म का अनुयायी ही बन जाता है, क्योंकि यह संस्कार हमें हमारे परिवार द्वारा दिये जाते हैं कि हमें किस परमात्मा की पूजा करनी है या किस ईश्वर पीर पैगंबर या मसीहा को मानना ​​है। लेकिन विचार करने वाली बात यह है कि क्या आप जिसकी पूजा कर रहे हैं, उसका इस धरती पर कोई अस्तित्व है या नहीं।

आपको बता दें कि हिंदू धर्म के लोग अलग-अलग तरह के देवी-देवताओं और भगवानों की पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह के साथ-साथ पीर, पैगंबर और दरगाह को पूजते हैं। . वाकी धर्म के लोग भी इसी तरह की पूजा-अर्चना करते हैं।

लेकिन हम आपको जन्म देने वाला परमात्मा एक ही है जिसने हम सभी को माता-पिता के संयोग से जन्म दिया है। लेकिन फिर भी लोग अज्ञानवश एक परमपिता परमात्मा की पूजा नहीं करते हैं। लेकिन अगर सभी धर्मों के लोग जानते हैं कि एक ही पूर्ण और सच्चा परमात्मा है, तो क्या वे सभी उस एक ईश्वर की पूजा करते हैं! मेरा मानना ​​है कि लोग ऐसा नहीं करते हैं। 

क्योंकि अगर ऐसा होता तो आज समाज धर्म के नाम पर बंटा नहीं होता और न ही एक-दूसरे के प्रति इतने आपसी विवाद बढ़ते। तो आइए अब नीचे विस्तार से जानते हैं कि सबसे बड़ा परमात्मा कौन है तथा कहां रहता है।

सबसे बड़ा परमात्मा कौन है: Who Is The Greatest God

चारों वेद और श्रीमद्भागवत गीता, कुरान, बाइबिल और गुरु ग्रंथ साहिब आदि सभी शास्त्र कहते हैं कि परमात्मा एक है। जिसे वेदों और कुरान में अजन्मा और अविनाशी कहा गया है और जिसे संतों ने राम और सच्चिदानंद कहा।

गीता के अनुसार परमात्मा कौन है

श्रीमद्भागवत गीता में परमात्मा को अजन्मा और अविनाशी कहा गया है तथा उसी परमात्मा से सम्पूर्ण संसार की उत्पत्ति हुई है। लेकिन गीता अध्याय 4 श्लोक 5 में गीता ज्ञान देने वाला प्रभु स्वयं अपने मुख से कह रहा है कि अर्जुन तेरे और मेरे अनेकों जन्म हो चुका है। इन सब जन्मों के बारे में तू नहीं जानता लेकिन मैं सब जानता हूं। इससे सिद्ध होता है कि गीता उपदेश देने वाला पूर्ण परमात्मा नहीं है, उसकी जन्म-मृत्यु होती रहती है।

सबसे बड़ा परमात्मा कौन है

इसके बाद श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 2 श्लोक 17 में गीता ज्ञान दाता अपने से बड़े परमात्मा की ओर संकेत करते हुए कह रहा है कि अर्जुन नाश रहित तो तू उसको जान जिससे यह सम्पूर्ण संसार व्याप्त है। उस अविनाशी परमात्मा का विनाश करने में कोई भी समर्थ नहीं हैं। वही इस सम्पूर्ण जगत का पालन हार और सबसे बड़ा परमात्मा कहा गया है।

शास्त्रों के अनुसार पूर्ण परमात्मा कौन है

शास्त्र आध्यात्मिकता का संविधान है। वे हमें पूर्ण परमात्मा के गुणों से अवगत कराते हैं और उनकी पूजा करने का सही तरीका भी बताते हैं। हालाँकि, पवित्र वेद सर्वशक्तिमान ईश्वर के कई गुणों का ही वर्णन करते हैं।

श्रीमद् देवी पुराण भी हमारे शास्त्रों का एक हिस्सा है, जिसमें दुर्गा जी राजा हिमालय को ज्ञान उपदेश देते हुए कहती हैं कि तुम एक सदाशिव (कालब्रह्म) की साधना करो। वह देवी एकाकी होते हुए भी संयोगवश अनेक रूप धारण कर सकती है। उस शक्ति देवी ने लक्ष्मी, सावित्री और पार्वती के रूप में जन्म लिया और ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया। तीन रूप होने के बावजूद वह अकेली रह गई। देवी दुर्गा उस काल रूप सदाशिव की अर्धांगिनी हैं।

श्रीमद् देवी पुराण के अनुसार दुर्गा जी राजा हिमालय से अपने पति कालब्रह्म की साधना करने के लिए कह रही हैं। लेकिन आपको बता दें कि श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान भी कालब्रह्म ने श्रीकृष्ण के शरीर में प्रवेश करके दिया है। आपको यह बात समझनी होगी तभी आप जान सकते हैं कि सबसे बड़ा परमात्मा कौन है।

सबसे बड़ा परमात्मा कौन है

गीता अध्याय 11 श्लोक 21 और 46 में अर्जुन कह रहे हैं कि भगवान! आप ऋषियों के साथ-साथ देवताओं और सिद्धों को भी खाते जा रहे हैं, जो पवित्र वेदों द्वारा आपकी स्तुति कर रहे हैं आप उनको भी नहीं छोड़ रहे हैं जो अपने जीवन की रक्षा के लिए कामना कर रहे हैं। वह कुछ आपके दाढ़ में लटक रहे हैं और कुछ आपके मुंह में समाते जा रहे हैं। इससे सिद्ध होता है कि गीता ज्ञान दाता काल ब्रह्म है। समय आने पर इसका भी जन्म मरण होता है। यह जानकारी ऊपर गीता अध्याय 4 श्लोक 5 में बताई गई है। इससे सिद्ध होता है कि गीता ज्ञान दाता काल ब्रह्म भी पूर्ण परमात्मा कहने योग्य नहीं है।

वेदों के अनुसार परमात्मा कौन है

वेदों में ईश्वर को अजर-अमर और अविनाशी कहा गया है। ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 16 मंत्र 18 में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा शिशु का रूप धारण करके पृथ्वी पर लीला करते हुए बड़ा होता है। कविताओं के माध्यम से तत्वज्ञान का वर्णन करने के कारण वह कवि का दर्जा प्राप्त करता है, अर्थात लोग उसे संत और कवि कहने लगते हैं, लेकिन वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही है। उनके द्वारा रचित अमृतवाणी कबीर वाणी कहलाती है, जो भक्तों के लिए स्वर्गीय वरदान सिद्ध होती हैं। वह पूर्ण परमात्मा सनातन परमधाम अर्थात् सत्यलोक ऊंचे सिंहासन पर विराजमान है।

पूर्ण परमात्मा कविर्देव को यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में मुक्तिदाता और पूर्ण शांतिपूर्ण भगवान के रूप में भी संबोधित किया गया है। वेदों के अनुसार सबसे सबसे बड़ा परमात्मा कविर्देव है। जो पूर्ण शांतिदायक और पापों को दूर करने वाला है।

पूर्ण परमात्मा अजन्मा और अविनाशी है, वह कभी माता के गर्भ से जन्म नहीं लेता है। आदरणीय धर्मदास जी और आदरणीय गरीबदास जी महाराज को पूर्ण परमात्मा कविर्देव अपने निज धाम सतलोक से आकर मिले थे। पूर्ण परमात्मा समय-समय पर संतों को तत्वज्ञान ज्ञान देने के लिए पृथ्वी अवतरित होते रहते हैं।
             
असंख्य ब्रह्मांडों के स्वामी कबीर साहेब हैं। ऐसा प्रमाण कुरान सरीफ और बाइबिल उत्पत्ति ग्रंथ में देखने को मिलता है। बाइबिल उत्पत्ति ग्रंथ में लिखा है पूर्ण परमात्मा ने 6 दिनों सृष्टि की रचना की तथा सातवें दिन विश्राम किया। उस परमात्मा का नाम कबीर है मुस्लिम धर्म के लोग उसे बड़ा कहते हैं।

कबीर साहेब चारों युगों में पृथ्वी पर आकर प्रकट होते हैं‌ सतयुग में परमात्मा कबीर देव सत सुकृत नाम आए, त्रेता में परमात्मा मुनींद्र नाम से आए, द्वापरयुग में परमात्मा करुणामय नाम से आए तथा कलियुग में परमात्मा अपने वास्तविक नाम कबीर के साथ 600 साल पहले काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर नवजात शिशु के रुप में प्रकट हुए।

उस परमात्मा को नीरू और नीमा निःसंतान दंपत्ति अपने घर लेकर आए थे तथा परमात्मा का पालन-पोषण एक कुंवारी गाय के दूध से हुआ और लगभग 120 वर्ष तक लीला करने के बाद परमात्मा कविर्देव सहशरीर अपने निज धाम सतलोक चले गए। इसका प्रमाण शास्त्रों में भी मिलता है कि पूर्ण परमात्मा नवजात शिशु के रुप में धरती पर प्रकट होता है। 

पवित्र अथर्ववेद कांड संख्या 4 अनुवाक नं. 1 मन्त्र 7 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18 के अनुसार सबसे बड़ा परमात्मा कविर्देव है जो नवजात शिशु के रुप में धरती पर आकर प्रकट होता है और दोहों आदि के माध्यम से अपने तत्वज्ञान का प्रचार करता है।

इससे सिद्ध होता कि सबसे बड़ा परमात्मा कविर्देव है, जो चारों युगों में अपने तत्वज्ञान का सन्देश देने पृथ्वी पर आते रहते हैं। उनका वास्तविक नाम कबीर है। वेद शास्त्रों में कविर्देव कहा गया है। कुरान शरीफ ने उसे कबीरान् खबिरन् तथा अल्लाह हु अकबर कहा है!

दोस्तों आज आपने इस आर्टिकल के माध्यम से जाना सबसे बड़ा परमात्मा कौन है तथा कहां रहता है। दोस्तों हमें उम्मीद है आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा। हमें अपनी राय कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं और हां अगर आपको पूर्ण परमात्मा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी चाहिए तो उसके लिए आप ➡️ निःशुल्क ज्ञान गंगा पुस्तक का आर्डर कर सकते हैं।

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