पूजा करने से क्या लाभ होता है, यहां जाने रोज Pooja Karne Ke Fayde

Benefits Of True Worship: हमारे सभी वेद शास्त्रों में लिखा है कि कोई प्राणी अपनी पूजा और भक्ति के गुणों के बल से स्वर्ग और महास्वर्ग में जाता है, वहां उसे सभी सुख मिलते हैं और शास्त्रों के अनुसार Pooja करने से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन फिर भी कुछ लोग पूछते हैं कि पूजा पाठ करने से क्या लाभ होता है, ऐसे में आज हम आपको बताना चाहेंगे कि पूर्ण संत के द्वारा बताई गई शास्त्र अनुकूल भक्ति और Puja करने से परमेश्वर अपने भक्त की अकाल मृत्यु को भी टाल देते हैं।

Pooja Karne Ke Fayde

शास्त्रों के अनुसार पूजा और भक्ति करने से इंसान को बहुत सारे फायदे होते हैं, पूर्ण गुरु से दीक्षा लेने के उपरांत भक्ति और Puja से विशेष लाभ होता है। भक्ति करने से हमें सभी प्रकार के लाभ मिलते हैं और इन लाभों में सबसे बड़ा लाभ यह है कि हमें चौरासी लाख योनियों से छुटकारा मिलता है यानी पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रतिदिन भगवान का नाम स्मरण करने और नियमित रूप से पूजा पाठ करने से मन में आंतरिक शांति की अनुभूति होती है। दैवीय शक्ति के प्रभाव से लोग नकारात्मक समय में आशा की एक छोटी सी किरण पर भी विश्वास कर लेते हैं और विश्वास आपके मन को भीतर से मजबूत बनाने में लाभकारी सिद्ध होता है। तो आइए जानते हैं हर रोज पूजा करने के फायदे (Pooja Karne Ke Fayde) के बारे में :-

पूजा करने से क्या लाभ होता है: Pooja Karne Ke Fayde

सुबह का समय भगवान की पूजा करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। वैसे तो दिन के किसी भी समय सच्चे मन से भगवान की पूजा की जा सकती है, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में पूजा और आराधना करने का विशेष महत्व है। भक्ति के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इस समय हमारा मन शांत रहता है। सुबह नींद से जागने के बाद शरीर में थकान नहीं होती है और परमात्मा का सिमरण करने में भी मन अच्छी प्रकार लग जाता है।

शास्त्रों के अनुसार पूजा करने से व्यक्ति अपने मन की भावनाओं को भगवान तक पहुंचा सकता है। पूजा करने से आपके मन को शांति मिलती है, क्योंकि यह आपको ईश्वर से जुड़ाव का अनुभव कराता है। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान की पूजा करने से आप पर भगवान की कृपा बनी रहती है और सभी संकट टल जाते हैं। लेकिन अब विज्ञान भी इस बात को स्वीकार कर चुका है कि भगवान की पूजा करने से उम्र बढ़ती है। तो आइए नीचे विस्तार से जानने हैं Puja Karne Ke Fayde क्या हैं।

घर का वातावरण शुद्ध होता है

भक्ति करने के फायदे घर का वातावरण शुद्ध करने में कारगर माने जाते हैं। पूर्ण संत के बताए अनुसार भक्ति और उपासना करने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है। शास्त्रों में पूजा पाठ करने के कई नियम बताए गए हैं, जिनके अनुसार पूजा करने से अनेकों फल मिलते हैं और साथ ही भगवान की कृपा भी बनी रहती है।

मन को शांति मिलती है

Pooja Karne Ke Fayde मन को शांत करने में मदद करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि हमारे मन को शांति नहीं मिल रही है। ऐसे लोगों को रोज भगवान की पूजा-अर्चना करने से मन की शांति मिलती है। इसका एक सरल उपाय है, पहले आप पूर्ण गुरु बनकर भगवान के नाम का जाप करना शुरू करें, ऐसा कुछ दिनों तक करने से आपके मन को शांति मिलने लगेगी।

रोग नाश हो जाते हैं

Simran Karne Ke Fayde श्रधालु के रोग नाश करने में सक्षम होते हैं। जो लोग अक्सर बीमार पड़े रहते हैं उन्हें शास्त्र अनुसार सतभक्ति करनी चाहिए। जिसके बदले उन्हें रोगों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है। वेद शास्त्रों में भी लिखा है कि पूर्ण परमात्मा भयंकर से भयंकर रोगों का नशा करने वाला है।

बुराइयां छूट जाती हैं

Pooja Karne Ke Fayde बुराईयों को दूर करने में असरदार साबित होते हैं। जो लोग अक्सर एक दूसरे की बुराई करने में अपना मनुष्य जन्म बर्बाद कर देते हैं। ऐसे लोगों को पूर्ण परमात्मा की भक्ति जरुर करनी चाहिए। पूर्ण परमात्मा की भक्ति और पूजा करने से सभी बुराइयां आसानी से छूट जाती हैं।

नशा मुक्त बनाने में फायदेमंद

Puja Karne Ke Fayde मन शांत करने के साथ-साथ नशा मुक्त बनाने में कारगर साबित होते हैं। जो लोग रात-दिन नशा करने के आदी होते हैं। उन्हें सर्वप्रथम पूर्ण संत की पहचान करने के उपरांत शास्त्र अनुसार भक्ति करनी चाहिए। जिससे उनका मन भगवान की भक्ति में लीन होने लगेगा और नशे की आदत भी आसानी से छूट जाएगी। दोस्तों हमें उम्मीद है अब आप Pooja Karne Ke Fayde जान गए होंगे तो आइए अब जानते हैं दुनिया में पूर्ण संत कौन है, जिसके द्वारा बताई गई भक्ति विधि से परमात्मा की कृपा हम पर होती है।

दुनिया में पूर्ण संत कौन है

हिंदू संत भारत में हिंदू धर्म से जुड़े सम्मानित पुरुष हैं। वे अपने ज्ञान और शिक्षाओं के माध्यम से संतों की स्थिति तक पहुंचे हैं, जो उनके द्वारा प्रकाशित मार्ग का अनुसरण करते हैं। उनमें से कुछ संतों ने भगवान के समान दर्जा भी प्राप्त कर लिया है और उन्हें धरती पर भगवान का अवतार माना जाता है।

अधिकतर संत संसार को त्यागने के लिए जाने जाते हैं और इन्हें पूर्ण संत के साथ-साथ साधु और गुरु के नाम से भी जाना जाता है। इनमें संत कबीर जी, गुरु नानक देव जी, संत रविदास जी और संत गरीब दास जी के साथ वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल महाराज भारत के प्रसिद्ध संत हैं। जो वर्तमान में शास्त्र अनुकूल प्रमाणित सतभक्ति बताने वाले माने जाते हैं और इस समय दुनिया में संत रामपाल महाराज जी एकमात्र पूर्ण संत हैं।

आजकल संत में समाज देखता है कि उसमें श्रेष्ठता और संयम है या नहीं। Sant में दूसरों का भला करने की भावना है या नहीं। वर्तमान में लोग एक संत में यह सभी गुण खोजते हैं और यह एक प्रकार से सही भी है क्योंकि वर्तमान में पाखंडी संतो की संख्या बहुत बढ़ गई है जो लोगों को शास्त्र विरुद्ध भक्ति करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए एक सच्चे संत की परख करने के सतगुरु कबीर जी अपनी बानी में कहते हैं:-

हीरा परखे जौहरी और शब्द परखे साध ।
कबीर परखे साध को, ताका मता अगाध ॥

कबीर जी अपने वाणी के माध्यम से एक सच्चे संत के बारे में लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि जैसे हीरे का असली मूल्य एक जौहरी ही जानता है, उसी तरह एक समझदार सज्जन ही संत शब्द का अर्थ परख सकता है। सतगुरु कबीर कहते हैं कि जो व्यक्ति सच्चे Sant की परख कर लेता है, उसका मत परमात्मा की आस्था अधिक गहन होता है।

जाति न पुछो संत की और पूछ लीजिए ज्ञान ।
और मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ॥

परमेश्वर कबीर जी लोगों को संत और असंत की परिभाषा समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि किसी साधु-संत से उनकी जाति के बारे में न पूछो, बल्कि उनसे कुछ ज्ञान चर्चा करो। पूर्ण परमात्मा के बारे में कुछ ज्ञान की बातें पूछो, साथ ही ब्रह्मा विष्णु महेश के माता-पिता के बारे में पूछो, इसी तरह तलवार की कीमत पूछो और म्यान रहने दो, क्योंकि तलवार का महत्व होता है म्यान का नहीं। इसी तरह ज्ञान महत्वपूर्ण होता है न कि संत की जाति। 

एक सच्चा संत न केवल समाज के लिए, बल्कि पूरे विश्व की मानवता के साथ-साथ सभी प्राणियों के लिए खुद को समर्पित करता है, सभी के विकास को गति देता है। वह दुनिया के लोगों को जाति और धर्म के चश्मे से नहीं देखा है, बल्कि अपने सभी अनुयायियों को परमेश्वर के बच्चों के रूप में देखता है।

वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ने हमारे वेद शास्त्रों के अनुसार भक्ति बताई है और साथ ही इस जाति-धर्म की परिभाषा भी बताई है। संत रामपाल जी महाराज आज की तिथि में पूरी पृथ्वी पर एक पूर्ण संत और एक तत्वदर्शी संत हैं जिन्हें पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान है। भारत के सच्चे संत अपनी वाणी में जाति-धर्म के विषय में कहते हैं:- 

जीव हमारी जाति है तथा मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।

वेद और श्रीमद्भागवत गीता जैसे पवित्र शास्त्रों में प्रमाण मिलता है कि जब भी धर्म की हानि होती है और पृथ्वी पर अधर्म की वृद्धि होती है और भक्ति मार्ग का रूप वर्तमान के नकली संतों, महंतों और गुरुओं द्वारा खराब किया जाता है। तब पूर्ण परमात्मा स्वयं आते हैं या अपने परम ज्ञानी संत को धरती पर भेजते हैं और सच्चे ज्ञान से धर्म की पुनः स्थापना करते हैं। 

वह संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति विधि बताता है। उनकी मान्यता है कि वर्तमान के अधिकतर धार्मिक गुरु उनके विरोध में खड़े हो जाते हैं तथा राजा और प्रजा को गुमराह करके उस संत पर अत्याचार कराने लगते हैं। आइए अब नीचे जानते हैं कि संत के लक्षण कैसे होते हैं तथा पूर्ण संत की पहचान क्या है।

पूर्ण संत के लक्षण कैसे होते हैं

वैसे तो पूर्ण संत के लक्षण बहुत स्पष्ट होते हैं, जो व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ-साथ पराई स्त्री से दूर रहता है, जो कभी झूठ नहीं बोलता है और हमेशा दूसरों का भला करना अपना परम कर्तव्य मानता है और जो शास्त्रों के अनुसार सच्ची भक्ति करवाता है। वह किसी से कटु वचन नहीं बोलता और न किसी का अहित चाहता है, उन्हें पूर्ण संत कहा जा सकता है। एक पूर्ण संत का सबसे बड़ा गुण उदासीनता और क्षमा है। एक बार काशी नगरी के एक भक्त ने कबीर से पूछा कि साधु-संत के क्या लक्षण होते हैं?

संत सोई जानिए, चले संत की चाल। 
परमारथ राता रहे, बोलै बचन रसाल। 

कबीर परमेश्वर जी कहते हैं कि पूर्ण संत उसी जानना चाहिए जिसका आचरण संत के समान पवित्र हो और जो सदा परोपकार में लगा हो और मधुर वचन बोलता हो। पूर्ण संत उन्हीं को जानो जिन्होंने मोह और निन्दा का परित्याग कर दिया है। सच्चे संत अपने सम्मान और अपमान पर ध्यान नहीं देते। उनका मानना था कि अगर कोई संत एक जगह रहने लगे तो वह तो वह मोह-माया से बच नहीं सकता। इसलिए उन्होंने आगे लिखा:-

बहता पानी निरमला और बंदा गंदा होय। 
संत जन रमता भला-दाग न लागै कोय।।

कबीर जी जानते थे कि कलियुग में एक ऐसा समय आएगा, जब लोग सच्चे संत की बात न मानकर पाखंड और दिखावा करने वाले संतों की पूजा करने लगेंगे। इसलिए उन्होंने आगे संत के लक्षण चौपाई के माध्यम से बताए हैं:-

यह कलियुग आयो अब, साधु न मानै कोय। 
कामी, क्रोधी, मसखरा, तिनकी पूजा होय।।

आज कबीर जी की बात सच साबित हो रही है और संतों के वेश में कई बाबा घृणास्पद आरोपों से घिरे हुए हैं। लेकिन उन्होंने लोगों को उच्च जाति और निचली जाति या किसी भी धर्म को खारिज करते हुए भाईचारे के धर्म का पालन करने का आह्वान किया। कबीर परमेश्वर ने अपने लेखन के माध्यम से सतभक्ति आंदोलन शुरू किया था और वर्तमान में पूर्ण संत रामपाल जी महाराज इस सतभक्ति आंदोलन को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

पूर्ण संत की पहचान क्या है

वर्तमान में पूर्ण संत की पहचान करना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि नकली और पाखंडी साधुओं और बाबाओं ने धरती के पर्यावरण को इतना प्रदूषित कर दिया है कि लोग सच्चे संत पर भी संदेह करते हैं। इस कारण पूर्ण संत को पहचानना बहुत कठिन हो गया है कि कौन सच्चा और कौन झूठा साधु है। एक विद्वान ने सच्चे संत की ऐसी पहचान बताई है, जिससे हम आसानी से संत और असंत में अंतर समझ सकते हैं।

इस संसार में सच्चा संत वही है जो जाति-धर्म के विवाद में पड़े बिना सबको समान समझे; झगड़ों से दूर रहकर वह परमेश्वर की भक्ति में एकाग्र होता है और कभी भी सांसारिकता के झूठे झगड़ों में नहीं पड़ता। महान विद्वान कबीर जी कहते हैं कि यह संसार पक्ष विपक्ष के झगड़ों में उलझकर ईश्वर का नाम भूलकर उससे दूर होता जा रहा है।

एक पूर्ण गुरु की पहचान यह है कि वह सभी वेद-शास्त्रों का ज्ञाता होता है। वह चार वेदों और 18 पुराणों के साथ 6 शास्त्रों का पूर्ण ज्ञाता होता है और पृथ्वी पर एक समय में केवल एक ही असली संत होता है। जो अपने अनुयायिओं को सच्चा ज्ञान देकर समाधान देता है। जिससे साधक को मोक्ष प्राप्ति का लाभ मिलता है और यही साधक और पूर्ण संत का अंतिम लक्ष्य होता है। कबीर जी ने अपनी वाणी के माध्यम से पूर्ण संत की पहचान बताई है:-

सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद। 
चार वेद षट शास्त्रा, वह कहै अठारा बोध।।

गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में लिखा है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 1 और 4 में भी तत्वदर्शी संत की पहचान बताई गई है कि तत्वदर्शी संत से तत्वज्ञान जानने के बाद उस परमात्मा की खोज करनी चाहिए। जहां जाने के बाद साधक इस संसार में नहीं लौटते अर्थात् वे पूर्णतः मुक्त हो जाते हैं। यह सारा संसार भी उस परमपिता परमात्मा से बना है।

दोस्तों आज की पोस्ट में आपने Pooja Karne Ke Fayde के बारे में जाना। हमें उम्मीद है आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें।


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