Shanti Ka Kya Arth Hai यहां जाने विश्व में किस तरीके से शांति स्थापित की जा सकती है.

Shanti Ka Kya Arth Hai: शांति मनुष्य के लिए सबसे आवश्यक और महत्वपूर्ण चीज है। आज लोगों के पास बहुत सारी भौतिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन इन सुविधाओं के बावजूद उनके मन को शांति नहीं मिल रही है। तो आइए जानते हैं शांति का क्या अर्थ है?

Shanti Ka Kya Arth Hai

शांति का क्या अर्थ है: Shanti Ka Kya Arth Hai

दोस्तों शांति का अर्थ है जब व्यक्ति का मन एक जगह स्थिर हो जाए तो उस अवस्था को शान्ति कहते हैं। दोस्तों इंसान धन से केवल संसाधनों को खरीद सकता है, लेकिन मन की शांति को कभी नहीं खरीदा जा सकता। शांति बाजार में बिकने वाली कोई थर्ड क्लास वस्तु नहीं है। इंसान को सच्चा सुख और शांति तभी मिलती है जब उसका मन शांत रहे। 

इंसान का जीवन तब तक सुखी नहीं हो सकता जब तक उनका मन शांत न हो। मन के वश में होने पर ही आपको शांति मिल सकती है क्योंकि अशांति का सबसे बड़ा कारण व्यक्ति का मन है। ऐसे में लोग पूछते हैं कि मन को शांत कैसे करे? दोस्तों मन को शांत करने का एक ही तरीका है अगर व्यक्ति पूर्ण संत की पहचान करने के उपरांत सच्चे भक्ति मार्ग पर लग जाए तो उसके मन को शांति मिल सकती है। सतगुरु कबीर जी कहते हैं-

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मन का छोड़ दे, मन का मनका फेर।।

यदि मनुष्य का मन एकाग्र न हो तो हाथ में माला फेरने से ईश्वर की सच्ची स्तुति नहीं होती है। अब सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि व्यक्ति का मन एकाग्र कैसे हो सकता है. इस संसार की मोह-माया एक ऐसी चीज है जो मन की एकाग्रता को नष्ट कर देती है, तो आइए जानते हैं मन को एकाग्र कैसे किया जा सकता है?

मन को एकाग्र करने का मंत्र 

मित्रो मन को एकाग्र करने का सबसे अच्छा मंत्र शास्त्र अनुकूल भक्ति है, क्योंकि शास्त्रानुकूल भक्ति करने से ही व्यक्ति का मन एकाग्र होकर ईश्वर की ओर जाता है। इसलिए मन की शांति के लिए रोजाना पूर्ण गुरु के द्वारा बताए गए भक्ति मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे मन भगवान की भक्ति में लीन होने लगता है और भगवान की भक्ति में लीन मन को संसार की हर चीज अपने आप बेकार लगने लगती है और जब संसार का मोह नहीं रहेगा तो व्यक्ति का मन भी शांत रहेगा। तो आइए अब नीचे जानते हैं विश्व में किस तरीके से शांति स्थापित की जा सकती है.

विश्व में किस तरीके से शांति स्थापित की जा सकती है

विश्व में शांति एक ही तरीके से स्थापित हो सकती है जब हम सबसे पहले अपने मन में शांति स्थापित करें। क्रोध और मन की अन्य नकारात्मक अवस्थाएं युद्ध और लड़ाई-झगड़ों के मुख्य कारण हैं। विश्व में शांति स्थापित करने के लिए सबसे आवश्यक है भाईचारे की भावनाएं होनी चाहिए। 

सभी देश आपस में एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। जब किसी देश में दुर्घटना होती है या कोई देश कठोर निर्णय लेता है, तो इसका प्रभाव न केवल उस देश पर पड़ता है, बल्कि इसका सीधा प्रभाव दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ता है। जब दो देशों के आपसी हित टकराते हैं, तो संघर्ष और युद्ध का माहौल बनता है।

यह विश्व शांति के लिए एक बड़ा घातक सिद्ध होता है। युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता क्योंकि दुनिया के इतिहास में आजतक ऐसा कोई युद्ध नहीं हुआ जिससे किसी समस्या हल निकला हो जान-माल के नुकसान के सिवाय।

ऐसे में यदि विश्व में शांति स्थापित करनी है तो उसके लिए सबसे कारगर कदम यह होगा कि राष्ट्रवाद की प्रबल इच्छाओं पर अंकुश लगाने के साथ-साथ मानवता को केंद्र में रखकर विश्व के सभी देश भाईचारे के साथ रह कर सतभक्ति के मार्ग पर चलें। जब प्रत्येक राष्ट्र एक दूसरे राष्ट्र के हितों का ध्यान रखेगा, तभी विश्व में शांति की स्थापना हो सकती है। आइए अब जानते हैं युद्ध क्या है ?

युद्ध क्या है

युद्ध एक लंबी लड़ाई है। जो आमतौर पर दो देशों के बीच संघर्ष के कारण युद्ध का रूप ले लेता है जिसमें विभिन्न प्रकार के हथियारों और गोला-बारूद का उपयोग किया जाता है। जिसमें लाखों लोगों की जान चली जाती है और लाखों लोग बेघर हो जाते हैं।

युद्ध केवल लोगों के खिलाफ हिंसा फैलाने का काम करता है। इंसानों में इंसानियत तो होती है, लेकिन अगर लोगों में इंसानियत के गुणों की कमी हो जाए या आपसी खुशी न दिखे तो यह युद्ध का रूप ले लेता है। 

युद्ध से होने वाले नुकसान

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लगभग 60 मिलियन लोग मारे गए थे। विस्फोटकों से सब कुछ नष्ट हो जाता है तथा देश में कई तरह की बीमारियां फैलती हैं साथ ही पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। युद्ध के कारण लोगों का लोगों पर से विश्वास उठ जाता है।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु बम गिराए गए थे। जिससे कई लोग मारे गए और आने वाली कई पीढ़ियों तक लोगों पर इसका असर पड़ा।

अगर ऐसी स्थिति फिर से पैदा होती है, तो समझ लीजिए कि एक भयानक प्रलय आएगी और मानवता का कोई नामो-निशान नहीं रहेगा। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रूस की अर्थव्यवस्था बहुत प्रभावित हुई थी। युद्ध से हुए नुकसान की भरपाई करना मुश्किल है। आइए अब जानते हैं विश्व में शांति कौन स्थापित कर सकता है।

विश्व में शांति कौन स्थापित कर सकता है

आज संत रामपाल जी का मुख्य लक्ष्य पूरे विश्व में शांति स्थापित करना है। संत रामपाल जी महाराज का जन्म अंतरराष्ट्रीय संघर्ष को रोकने और शांति की संस्कृति विकसित करने के लिए हुआ है। संत रामपाल जी महाराज सतगुरु कबीर जी के पगचिन्हों पर चलने वाले विश्व के महान संत हैं जो आतंक और अशांति के इस युग में सतभक्ति और अमन का प्रचार करने के लिए प्रासंगिक हो गये हैं।

सद्गुरु कबीर की वाणियां पूरी दुनिया को एकता का संदेश देती हैं। कबीर साहब ने अपनी वाणियों से मानव जाति को जोड़ने का काम किया था। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारत के महान संतों में कबीर जी का स्थान सर्वोच्च है। उन्होंने छुआछूत, ऊंच-नीच, भेदभाव और धर्म के भेद को मिटाकर विश्व में मानवता का संदेश दिया। उनके विचार कल भी उतने ही प्रासंगिक थे जितने आज हैं। सद्गुरु कबीर जी के संदेशों को अपने जीवन में उतारकर अपने जीवन को सफल बनाएं। 

कभी-कभी हम अपने सामने वाले से जल्दबाजी में कुछ ऐसा कह देते हैं, जिसका बाद में हमें बहुत पछतावा होता है। बिना सोचे-समझे बोलना हमारे करीबी रिश्ते को खराब कर देता है, जिससे हमें दुख और पछतावे के सिवा कुछ नहीं मिलता।

मुँह से निकले हुए शब्द भी बाणों के समान होते हैं, जिन्हें हम वापस नहीं ले सकते। इस विषय पर कबीर जी अपने दोहों के माध्यम से कहते हैं कि-

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि।
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।।

कबीर परमेश्वर जी कहते हैं कि वाणी इस संसार की सबसे कीमती चीज है, इसलिए इसे अपने मुंह से निकालने से पहले दिल के तराजू पर तौलना चाहिए।

बड़े से बड़ा व्यक्ति अपने अहंकार में आकर नष्ट हो जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण लंका का राजा रावण है, अहंकार में व्यक्ति कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं सोचता। मनुष्य का अहंकार उसके पतन की ओर ले जाता है, इसलिए मनुष्य को अहंकार का त्याग कर देना चाहिए। इस विषय पर कबीर जी अपने इस दोहे में कहते हैं कि-

जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय।
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय।।

अगर आपके मन में शीतलता है तो इस दुनिया में कोई आपका दुश्मन नहीं है। अगर कोई आदमी अपना अहंकार छोड़ दे कर सतभक्ति मार्ग पर चल पड़े तो हर कोई उस पर दया करने को तैयार हो सकता है।

कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए। भले ही कोई व्यक्ति हर स्तर पर आपसे कम हो, उसे कभी अपशब्द न बोलें क्योंकि कबीर जी इस दोहे के माध्यम से शिक्षा देते हैं कि-

तिनका कबहुँ ना निन्दिए, जो पाँवन तले होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।

कबीर साहब सिखाते हैं कि कभी भी एक छोटे से तिनके की भी निंदा न करें जो आपके पैरों के नीचे दब जाए। अगर वो तिनका कभी उड़ कर आँख में गिर जाए तो कितना गहरा दर्द होता है! इसलिए छोटे से छोटे व्यक्ति की भी निंदा नहीं करनी चाहिए। आइए अब जानते हैं कि सतगुरु कबीर जी के भक्ति मार्ग पर चलने वाला वह महान संत कौन है।

वर्तमान में कौन है कबीर साहेब के पगचिह्नों पर चलने वाला संत

संत रामपाल जी महाराज आज के समय में कबीर जी के पगचिन्हों पर चलने वाले महान संत हैं। कबीर जी द्वारा बताई गई सच्ची भक्ति को वे हमारे धार्मिक ग्रंथों से प्रमाणित करते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने कलियुग में कबीर जी को भगवान साबित किया है। आइए जानते हैं सबसे बड़ा भगवान कौन है और कहां रहता है।

सबसे बड़ा भगवान कौन है

इस रहस्य से परदा उठाने के लिए ही परमात्मा सतगुरु के रूप में धरती पर अवतरित होते हैं या अपना अंशरुप भेजते हैं और वर्तमान में पूर्ण परमात्मा ने एक महान संत के रूप में अपना अंश भेजा है, जिसने गुरु ग्रंथ साहिब, वेद शास्त्र पुराण, कुरान शरीफ, बाइबिल व अन्य धर्म जैसे बौद्ध धर्म, जैन धर्म आदि सभी शास्त्रों के ज्ञाता हैं। उस महान संत ने शास्त्रों की गहराई में डुबकी लगाई तो पता चला कि एक ही पूर्ण ईश्वर है!

तो आइए जानते हैं कौन है वो सबसे बड़ा भगवान, जिसे आप अल्लाह कहना चाहते हैं, उसे सबसे बड़ा भगवान कहें, उसे सच्चा वाहेगुरु कहें या सबसे बड़ा God कहें। आइए यह भी जानते हैं कि जब ईश्वर एक है तो धर्मों का यह विभाजन कैसे हो गया। जाति-धर्म के विषय पर परमात्मा की वाणी है कि...

जाति नहीं जगदीश तो हरिजन की कहां से होए।
इस जाति-पाति के चक्कर में भ्रम पड़ो मत कोए।।

जीव हमारी जाति है और मानव धर्म हमारा ।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।

इस संसार में दो प्रकार की शक्तियाँ अपना अलग-अलग कार्य कर रही हैं, जिसमें एक सदा शिव (काल ब्रह्म) है। वेदांती उन्हें निराकार ब्रह्म के नाम से जानते हैं। मुसलमान उन्हें बेचून अल्लाह और ईसाई उसे निराकार ईश्वर मानते हैं।

दूसरी शक्ति जिसे सत्य पुरुष के नाम से जाना जाता है जिसे गीता में परम अक्षर पुरुष, सच्चिदानंद घन ब्रह्म, दिव्य परम पुरुष तथा तत् ब्रह्म भी कहा गया है। असंख्य ब्रह्मांडों में रहने वाले सभी प्राणी सत्य पुरुष जी की आत्माएं हैं। जो सनातन परम धाम यानि सतलोक में रहते थे वे हम सभी अल्प बुद्धि आत्माओं को काल ब्रह्म इस पृथ्वी लोक में लेकर आए थे। 

सतलोक में हमें सब सुख था, न बुढ़ापा था न मृत्यु का भय। वहां पांच तत्वों का यह शरीर भी नहीं था! यह संसार ऐसा ही है, यहां सब कुछ तीन गुण और पांच तत्वों से बना है, लेकिन सतलोक में एक ही नूर तत्व से बनी रचना है। यहां सब कुछ नाशवान है और वहाँ सब कुछ अविनाशी है।

ईश्वर साकार है या निराकार

यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27 तथा ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 से 3 में लिखा है पूर्ण परमात्मा साकार है तथा राजा के समान दर्शनिये है।

साथियों, हमारे शास्त्रों में इस बात का प्रमाण है कि ईश्वर साकार और दिखने में मानवस्वरुप है। असली भगवान सहशरीर है। वह निराकार नहीं बल्कि साकार रूप में है और सनातन स्थान अर्थात् सचखंड, सतलोक में निवास करता है। भगवान का नाम कविर देव है। जिन्हें अन्य भाषाओं में कबीर साहेब, हक्का कबीर, सत कबीर, अल्लाह हू अकबर, कबीरान, कबीरा, खबीरा आदि नामों से जाना जाता है।

पूर्ण परमात्मा अजर अमर अविनाशी है, वह न कभी मरता है और न ही कभी माता के गर्भ से जन्म लेता है। आदरणीय धर्मदास जी महाराज, आदरणीय गरीबदास जी महाराज को सच्चे भगवान कविर्देव सतलोक से आकर मिले तथा सतभक्ति मार्ग का ज्ञान कराया। पूर्ण परमात्मा समय-समय पर संतों को सतभक्ति ज्ञान देने पृथ्वी अवतरित होते हैं।
             
असंख्य ब्रह्मांडों के स्वामी तथा सभी ब्रह्मांडों के निर्माता कबीर साहेब हैं, जिन्होंने इस ब्रह्मांड को 6 दिनों में बनाया और सातवें दिन विश्राम किया। ऐसा प्रमाण कुरान सरीफ के साथ-साथ बाइबिल उत्पत्ति ग्रंथ में मिलता है।

कबीर साहेब चारों युगों में सतयुग में सत सुकृत नाम से, त्रेता में मुनींद्र, द्वारा द्वापर में करुणा तथा कलियुग में कबीर नाम से आए हैं जो 600 साल पहले काशी में आए थे। काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर नवजात शिशु के रुप में प्रकट हुए।

जिसे नीरू और नीमा निःसंतान दंपत्ति अपने घर लाए थे, जिनका पालन-पोषण एक कुंवारी गाय के दूध से हुआ और 120 वर्ष तक लीला करने के बाद सहशरीर अपने निज धाम सतलोक चले गए। इसका प्रमाण शास्त्रों में भी मिलता है कि पूर्ण परमात्मा नवजात शिशु के रुप में आकर इस धरती पर प्रकट होता है। 

पवित्र अथर्ववेद कांड संख्या 4 अनुवाक नं. 1 मन्त्र 7 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18 के अनुसार सबसे बड़े भगवान का नाम कविर्देव है जो नवजात शिशु के रुप में धरती पर प्रकट होता है और दोहों आदि के माध्यम से अपना ज्ञान प्रचार करता है।

सबसे बड़े और शक्तिशाली भगवान कबीर जी ही हैं, जो चारों युगों में तत्वज्ञान का सन्देश देने आते रहते हैं। उनके मानव रूप शरीर का नाम कबीर है। वेदों में उन्हें कविर्देव कहा गया है। कुरान शरीफ ने उन्हें कबीरान् खबिरन् तथा अल्लाह हु अकबर कहा है!

कबीर परमेश्वर जी चाहते हैं कि सभी जीव मेरे तत्वज्ञान को समझें और मेरे द्वारा बताए गयी शास्त्रों के अनुसार भक्ति करें। इसलिए वह परमात्मा कबीर जी सतलोक से चलकर इस मृत्युलोक आते हैं और अपनी आत्मा को बाणियों और दोहों के माध्यम से ज्ञान समझाकर काल ब्रह्म के जाल से परिचित कराते हैं।

हमारे सभी धार्मिक ग्रंथ भी इस बात की गवाही देते हैं कि परमपिता परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं जिनकी भक्ति से मोक्ष की प्राप्ति संभव है। इसलिए अपना समय बर्बाद न करें और संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा लें और अपना कल्याण कराएं।

दोस्तों आज की पोस्ट में आपने Shanti Ka Kya Arth Hai तथा विश्व में किस तरीके से शांति स्थापित की जा सकती है के बारे में जाना। हमें उम्मीद है आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें और साथ ही कमेंट में हमें अपनी राय भी दें।






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