भक्ति करने से क्या लाभ होता है तथा जाने Sachi Bhakti Kya Hai

Benefits of True Devotion: दोस्तों आजकल बहुत से लोग पूछते हैं कि भक्ति करने से क्या लाभ होता है और Sachi Bhakti Kya Hai. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि सच्ची भक्ति क्या है और इसके क्या फायदे हैं। मित्रों, अगर पूर्ण संत की पहचान करके तथा उनके द्वारा बताई गई शास्त्र अनुसार भक्ति को करने से, भक्त को कई लाभ मिल सकते हैं।

Sachi Bhakti Kya Hai

लेकिन इन लाभों को वही साधक जान सकता है जिसने सच्चे गुरु के बताए मार्ग पर चलकर ईश्वर का नाम लिया हो और ईश्वर का सत्संग सुना हो। भगवान की भक्ति और आराधना से ही मन को शांति प्राप्त हो सकती है।

कुछ लोग कहते हैं कि हमारे मन को शांति नहीं मिलती और हमारा मन हमेशा भटकता रहता है। इसका एक सरल उपाय यह है कि आप पहले पूर्ण गुरु को पहचानें और उनसे दीक्षा लें, उसके बाद उनके बताए भक्ति मार्ग पर चलकर भगवान का नामजप करना शुरू करें। क्योंकि पूर्ण गुरु बनाकर ही भक्ति साधना करने से मन को शांति और लाभ प्राप्त होता है। गुरु का महत्व बताते हुए सतगुरु कबीर जी ने अपने दोहों में कहा है कि.

गुरु बिन माला फेरते तथा गुरु बिना देते दान।
गुरु बिना दोनों निष्फल है चाहे पूंछो वेद-पुराण।।

राम कृष्ण से कौन बड़ा, तिन्हुं भी गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी और गुरु आगे आधीन।।

दोस्तों अगर गुरु के बिना यदि कोई व्यक्ति माला फेरता तथा दान देता है वह बिल्कुल निष्फल है यानी उससे कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है। यदि आपको इस बात पर कोई सन्देह है तो आपने वेद और पुराणों में प्रमाण देखो।

पुराणों में प्रमाण है कि श्री राम जी ने वशिष्ठ ऋषि को अपना गुरु धारण किया था तथा उनसे नाम दीक्षा लेकर उनकी आज्ञानुसार अपने राज-काज को सुचारू रूप से चलाते थे। इसी प्रकार श्री कृष्ण जी ने भी ऋषि संदीपनि जी से अक्षर ज्ञान प्राप्त किया तथा ऋषि दुर्वासा को अपना आध्यात्मिक गुरु धारण किया था।

कबीर जी हमको ऊपर दी गई बाणियो के माध्यम से समझाना चाहते हैं कि आप श्री राम और श्री कृष्ण जी से बड़ा किसी को नहीं मानते हो। वे तीन लोकों के स्वामी हैं तथा उन्होंने भी गुरु बनाकर अपनी भक्ति शुरू की थी।

इससे आपको समझना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति यदि गुरु के बिना भक्ति करता है तो व्यर्थ है। अगर कोई पूर्ण गुरु के बिना अपनी इच्छा से या किसी की देखा-देखी भक्ति करता उसे लोकवेद या दंतकथा कहा जाता है। जिससे साधना करने वाले व्यक्ति को की लाभ नहीं होता है।

अगर कोई व्यक्ति पूर्ण गुरु धारण किए बिना किसी के कहे अनुसार शास्त्र विरुद्ध भक्ति करता है, उसे लोकवेद कहा जाता है। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में लिखा है कि जो व्यक्ति शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है उसे न तो कोई सुख होता है और न ही उसकी परमगति यानि मोक्ष होता है।

भक्ति करने से क्या लाभ होता है

पूर्ण संत (गुरु) द्वारा बताई गई ईश्वर की आराधना हमें सतमार्ग पर ले जाती है। अगर हमारी भक्ति सच्ची है तो भगवान हमें कुछ भी गलत नहीं करने देंगे। हम सदैव परोपकार के कार्यों में लगे रहेंगे। क्योंकि जहां धर्म है, वहां स्वयं ईश्वर होता है।

मन को मिलती है शांति- आत्म-साक्षात्कार और मन की शांति के लिए लोग अध्यात्म का सहारा लेते हैं। सत्संग सुनने वाले को मानसिक शांति के साथ-साथ मानसिक स्तर भी मजबूत होता है। आध्यात्मिकता न केवल व्यक्ति को भौतिकवाद के मोह से बचाने का काम करती है बल्कि जीवन में सही कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने और सही और ग़लत का निर्णय लेने में भी मदद करती है।

सुसाइड करने का मन नहीं करता- दोस्तों वर्तमान में लोगों को सतभक्ति मार्ग न मिलने के कारण अधिकांश लोग मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। ऐसे में कई बार लोग तनाव या उदास महसूस करते हैं तो कई बार आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। लेकिन पूर्ण परमात्मा के कार्यों में भाग लेने वाले लोगों में आत्महत्या करने की भावना न के बराबर होती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि- आध्यात्मिकता आपको जीवन में आने वाली परिस्थितियों का सामना करने के लिए न केवल मानसिक स्तर पर मजबूत बनाती है। बल्कि साथ ही यह शरीर के इम्यून सिस्टम को संक्रमण और कैंसर जैसी वायरल बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है। दरअसल अध्यात्म का हमारे तंत्रिका तंत्र पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे इम्यून सिस्टम बेहतर तरीके से काम करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

आयु बढ़ती है - कुछ अध्ययनों से पता चला है कि आध्यात्मिकता से जुड़े लोगों में आत्मविश्वास और आशा की भावनाएँ बढ़ जाती हैं। केवल सच्चे गुरु के द्वारा बताए गए भक्ति मन्त्रों से लोगों में हृदय रोग और कैंसर सहित कई बीमारियों का खतरा कम होता है। जिससे लोग स्वस्थ और लंबी उम्र जीते हैं।

सच्ची भक्ति क्या है- Sachi Bhakti Kya Hai

निःस्वार्थ और अधीन भाव से परमात्मा की भक्ति करना ही सच्ची भक्ति कहलाती है। भगवान का सच्चा भक्त वही है जो भगवान से प्रेम करता है। उन्हें सच्चे मन से याद करता है और उसके बदले में दुनिया की किसी भी वस्तु की चाह न रखता है।

ईश्वर कण-कण में व्याप्त है और ईश्वर का कहीं भी अभाव नहीं है, बस यह केवल लोगों की दृष्टि का फेर है। जिनकी निगाहें सांसारिक दुनिया पर टिकी हैं, वे ईश्वर को न तो देख सकते हैं और न ही उसे प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि ईश्वर को केवल सच्ची भक्ति से ही पाया जा सकता है और पूर्ण गुरु के बिना सच्ची भक्ति नहीं हो सकती। क्योंकि कबीर परमात्मा ने सूक्ष्म वेदों में कहा है।

कबीर गुरु बिना काहु न पायो ज्ञाना।
ज्यों थोथा सुस छडे़ मूढ़ किसाना।।

गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी। 
समझे न सार रहे अज्ञानी।।

इसलिए सभी को पूर्ण गुरु बनाकर ही वेद और शास्त्रों को पढ़ना चाहिए जिससे शास्त्र अनुकूल साधना करके मानव जीवन को धन्य बनाना चाहिए। क्योंकि पूर्ण गुरु के वचनों की शक्ति से ही भक्ति का उचित लाभ मिलता है।

पूर्ण गुरु जी से दीक्षा लेकर भक्ति करना बेहद लाभदायक होता है तथा बिना गुरु या किसी नकली धर्मगुरु से दीक्षा लेकर भक्ति करना भी व्यर्थ है। सूक्ष्म वेद कबीर सागर में पृष्ठ 1960 पर सच्चे गुरु के लक्षण बताए गए हैं।

पूर्ण गुरु के लक्षण

गुरु के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र का ज्ञाना।।
दूजे हरि भक्ति मन कर्म बानि, तीजे समदृष्टि करि जानी।।
चौथे वेद विधि सब कर्मा, यह चार गुरु गुण जानों मर्मा।।

कबीर जी ने पूर्ण गुरु के चार मुख्य लक्षण बताए हैं कि प्रथम वह वेद और शास्त्रों का पूर्ण ज्ञाता होगा। दूसरी बात वह स्वयं भी मन कर्म वचन से भक्ति करता है। तीसरा लक्षण यह कहा है कि वह सभी साधकों से एक समान व्यवहार करता है तथा चौथे वह सभी भक्ति कर्म चारों वेदों के अनुसार करता और करवाता है।

दोस्तों आज आपने जाना भक्ति करने से क्या लाभ होता है और Sachi Bhakti Kya Hai. हमें उम्मीद है आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा कमेंट में अवश्य बताएं और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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